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Ghazal Shayari : Yaar Jo Bhi Mila Dil Jala Kar Gaya

यार जो भी मिला दिल जला कर गया
खाक में मेरी हस्ती मिला कर गया

प्यास जिसकी सदा मैं बुझाता रहा
जहर-ए-कातिल मुझे वो पिला कर गया

नाज़ उसकी वफ़ा पर मुझे था मगर
तीर वो भी जिगर पर चला कर गया

तलाश करता था कभी जो मुझे हर गली
नज़र वो आज मुझसे बचा कर गया

मानता था सहारा जो हरदम मुझे
बेसहारा मुझे वो बना कर गया

नींद आगोश में जिसकी आने लगी
मौत की नींद मुझ को सुला कर गया

आरज़ू थी “यारो” किसी की मुझे,
ख्वाब मेरे वही तो मिटा कर गया