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Mahatma Gandhi - Hindi Suvichar

क्रोधको जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है | ~ महात्मा गांधी

गरीबीदैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ~ महात्मा गाँधी

वास्तविकसोन्दर्यह्रदय की पवित्रता में है | ~ महात्मा गांधी

जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है | ~ महात्मा गांधी

पुस्तकोंका मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं | ~ महात्मा गांधी

चरित्रकी शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए | ~ महात्मा गांधी

अपनेप्रयोजन में दृढ़विश्वास रखने वाला एक कृशकाय शरीर भी इतिहास के रुख को बदल सकता है | ~ महात्मा गांधी

कायरतासे कहीं ज्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना | ~ महात्मा गांधी

अहिंसाही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है | ~ महात्मा गांधी

कुरीतिके अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है | ~ महात्मा गांधी

कोईभी संस्कृति जीवित नहीं रह सकती यदि वह अपने को अन्य से पृथक रखने का प्रयास करे। ~~महात्मा गाँधी

हमदबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते | ~ महात्मा गांधी

प्रेमकी शक्ति दण्ड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है | ~ महात्मा गांधी

सुखबाहर से मिलने की चीज नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं | ~ महात्मा गांधी

पापसे घृणा करो, पापी से नहीं | ~ महात्मा गांधी

किसीराष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के दिलों और आत्माओं में बसती है | ~ महात्मा गांधी

किसीभी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है | ~ महात्मा गांधी

जिज्ञासाके बिना ज्ञान नहीं होता | दुःख के बिना सुख नहीं होता | ~ महात्मा गांधी

यदिमनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है |~ महात्मा गांधी

राष्ट्रीयव्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है | ~ महात्मा गांधी

हंसीमन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है | ~ महात्मा गांधी

कुछलोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं| ~ महात्मा गांधी

जोसमय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है | ~ महात्मा गांधी

विश्वासकरना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है | ~ महात्मा गांधी

अपनेसे हो सके, वह काम दूसरे से कराना | ~ महात्मा गांधी

कामकी अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है | ~ महात्मा गांधी


चिंताके समान शरीर का क्षय और कुछ नहीं करता, और जिसे ईश्वर में जरा भी विश्वास है उसे किसी भी विषय में चिंता करने में ग्लानि होनी चाहिए। ~ महात्मा गांधी